Saturday, October 26, 2019

उदासी में इंतज़ार





ये कैसी उदासी दिल में हे बसी 
जो मेरे हर साँस से लिपट गयी हे 
रूठी पड़ी हे बे-दिल जिंदगी 
ऊँचे ख्वाबों से बंधी पड़ी हे | 


गैर-यक़ीन से पड़े हर कदम 
जैसे आंधी से टकरा गए है 
न दूर कुछ दिखे, हर चेहरा दिखे धुंदलासा
हर ख्वाब यहाँ बेखबर है |  


फिर कोई दिखादे वो भूले हुए रंग 

जो मेरे ज़ेहन में फीका पड़ा है 
कोई जगा दे हवा में वह खुशबू 
दूर मन से जो उड़ गया है  | 


न जाने कैसा ये फिकर, अनजान अज़ीब सा एक डर 
जिससे पूरा बदन काँप उठा हे  
ऐसा नशा इक छाया, न लगे कोई अपना,पराया
किसी अजनवी का इंतज़ार है ||  


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कोई अजनवी का इंतज़ार में,
अभिजीत ॐ  

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