Saturday, March 28, 2020

माई मेरी





माई मेरी


हर मोड मेरे सफर का गुजरे तेरी सूफियाना नगरी से
तेरी झलक की एक ज़ाहीर पे मर मिटे हर जज़्बा जॉन के।


प्यासे नज़रे मेरे जब तरसे और बरसे घनघोर तन्हाई
एक बार मिलने आ जाना तेरा रास्ता देखूँगा मेरी माई।


जब जॉन जिस्म से हो जुदा जुबां पे हो सिर्फ तेरा नाम
मन की निगाहे हो तेरे चेहरे पे और मेरी रूह चल पडे तेरा धाम।



बूंद बूंद मेरे हर आंसू में हो लपेटा हुआ बस यादें तेरी
गोद में मुझे समां लेना तू, यही अर्ज़ी हे माई मेरी।



---*---
अभिजीत ॐ 

To subscribe to the blog by email, please refer to the top-right side of the blog (just above the 'Total Pageviews' gadget).

No comments:

Post a Comment