Sunday, March 29, 2020

तांडव गीत


तांडव गीत 
क्यों रग रग कण कण नाचे नाचे आज 
तन बदन काँपे, डोले अंग अंग मोरा
मचले मेरे खून बूंद बूंद
काल ठहरा हुआ और मन हे मौन 
मेरे अंदर अंदर ये जगाहे कौन।


नाचे कोटी सूर्य, नाचे ये जड़ जगत
नाचे पृथ्वी पाताल, नाचे अन्तरिक्ष
नाचे भूत, प्रेत, गण, और राक्षस
नाचे हर पशु प्राणी नटराज साक्ष्यात।


गूंजे अनहद नाद, प्राण हुआ प्रबल 
मन में महारुद्र जब जागे प्रखर
सुभे डम डम 
डम डम डम्बरू के तार
जन्मे बीज़ महामन्त्र खिले सारा संसार    

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अभिजीत ॐ 
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Saturday, March 28, 2020

माई मेरी





माई मेरी


हर मोड मेरे सफर का गुजरे तेरी सूफियाना नगरी से
तेरी झलक की एक ज़ाहीर पे मर मिटे हर जज़्बा जॉन के।


प्यासे नज़रे मेरे जब तरसे और बरसे घनघोर तन्हाई
एक बार मिलने आ जाना तेरा रास्ता देखूँगा मेरी माई।


जब जॉन जिस्म से हो जुदा जुबां पे हो सिर्फ तेरा नाम
मन की निगाहे हो तेरे चेहरे पे और मेरी रूह चल पडे तेरा धाम।



बूंद बूंद मेरे हर आंसू में हो लपेटा हुआ बस यादें तेरी
गोद में मुझे समां लेना तू, यही अर्ज़ी हे माई मेरी।



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अभिजीत ॐ 

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