तांडव गीत
क्यों रग रग कण कण नाचे नाचे आज
क्यों रग रग कण कण नाचे नाचे आज
तन बदन काँपे, डोले अंग अंग मोरा
मचले मेरे खून बूंद बूंद
काल ठहरा हुआ और मन हे मौन
मचले मेरे खून बूंद बूंद
काल ठहरा हुआ और मन हे मौन
मेरे अंदर अंदर ये जगाहे कौन।
नाचे कोटी सूर्य, नाचे ये जड़ जगत
नाचे पृथ्वी पाताल, नाचे अन्तरिक्ष
नाचे भूत, प्रेत, गण, और राक्षस
नाचे हर पशु प्राणी नटराज साक्ष्यात।
गूंजे अनहद नाद, प्राण हुआ प्रबल
नाचे कोटी सूर्य, नाचे ये जड़ जगत
नाचे पृथ्वी पाताल, नाचे अन्तरिक्ष
नाचे भूत, प्रेत, गण, और राक्षस
नाचे हर पशु प्राणी नटराज साक्ष्यात।
गूंजे अनहद नाद, प्राण हुआ प्रबल
मन में महारुद्र जब जागे प्रखर
सुभे डम डम डम डम डम्बरू के तार
सुभे डम डम डम डम डम्बरू के तार
जन्मे बीज़ महामन्त्र खिले सारा संसार
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अभिजीत ॐ
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