Tuesday, April 21, 2020

मेरी रानी




तेरी उलझे हुए जुल्फों को आओ सुलझा दूँ, मेरी रानी
जज्बातों की आंधी को आओ थाम लूँ, मेरी रानी 
तेरी मुरझाई सी होंठों को आज फिर से जिन्दा करदु में 
तेरी नमी भरी आँखों में चिंगारी जगादु मेरी रानी।

आओ ऐसी कहानी सुनाऊ में, की बचपन की सैर हो जाए 
आओ ऐसा मल्हार गाऊं में, श्रांत सरीर नींद में सो जाए
मेरे कंधे में सर रखदो तुम, हर क्लेश पिघलादूँ, मेरी रानी 
सारे गुनाह अपने सर लेजाऊं, हर लानत मिटादूँ मेरी रानी। 


-----*-----

     अभिजीत  ॐ    

To subscribe to the blog by email, please refer to the top-right side of the blog (just above the 'Total Pageviews' gadget).

No comments:

Post a Comment