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पत्थर |
पत्थर भी पिघल जाए प्यार मे, सुने थे हम,
पत्थर भी पिघल जाए प्यार मे, सुने थे हम,
मगर जब आज़माने चले तो कर बैठे एक पत्थर से प्यार
पिघलने को पत्थरअपना अपमान समझा
और अपने अकड़ के साथ खुश रहा......
तब हमें पथोरो का प्रचुरता का राज़ पता चला...
तब हमें पथोरो का प्रचुरता का राज़ पता चला की प्यार तो बेकार बदनाम हे ... गुनेहगार तो ये पत्थर ही हे....
वो पत्थर फिर कभी ना पिघला..
लैकिन हम नादाँ पिघल गये, और पिघलते पिघलते एक दिन हम कुछ और बन गये.
मगर कभी पत्थर ना बने..
मगर कभी पत्थर ना बने..
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अभिजीत ॐ
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